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कविता का स्वरूप-बिपिन कुमार चौधरी

Bipin Kumar Choudhary

कविता का स्वरूप

सभी विद्वानों के विचारों का अंतिम सार,
कविता कवि के भावनाओं का उदगार,
मुख्य रूप से इनके तीन प्रकार,
महाकाव्य, खंडकाव्य, मुक्तक काव्य,
कविता के सौंदर्य का भेद है चार,
प्रस्तुत योजना, भाव, नाद, विचार,
प्रेम, करूणा, क्रोध, हर्ष, उत्साह,
मर्मस्पर्शी चित्रण कविता का भाव,
काव्य की आत्मा, सृजन भाुकतावश,
साहित्य शास्त्रों ने बताया इसी को रस,
श्रृंगार, वीर, हास्य, करुण, रौद्र, शांत,
भयानक, अद्भुत, विभत्स, रस के नौ अवतार,
वात्सल्य और भक्ति रस के अन्य प्रकार,
परवर्ती आचार्यों ने किया जिन पर विचार,
विचारों की उच्चता में निहित काव्य की गरिमा,
कबीर, रहीम, तुलसी, वृंद के दोहे, गिरधर की कुंडलियां,
कविता का नाद सौंदर्य, छंदबद्ध रचना,
संगीतत्मकता, गेयात्मकता, सरल जिसे पढ़ना,
लय, तुक, गति, प्रवाह का समावेश,
वर्ण, शब्द का सार्थक समुचित विन्यास,
वर्णों की आवृत्ति, नाद का मोहक आकर्षण,
करे पाठक को मंत्रमुग्ध, साहित्य का सर्वश्रेष्ठ सृजन,
दृश्यों, रूपों, तथ्यों का हृदयग्राही उभार,
उपमा, उपमेय, अप्रस्तुत योजना मूल आधार,
काव्य के छः बाह्य स्वरूप माने साहित्यकार,
लय, तुक, छंद, शब्द योजना, चित्रात्मकता, अलंकार,
भाषा में प्रवाह संघ लय लाये उतार – चढ़ाव,
दोहा, चौपाई, कुंडलियां, सोरठा, सवैया तुक का प्रभाव,
काव्य शास्त्र में अति महत्वपूर्ण, विशिष्ट शब्द योजना,
तीन स्वरूप जिनके, अभिधा, लक्षणा, व्यंजना,
अल्प शब्द में करे भावों को व्यक्त चित्रात्मक भाषा,
अभिव्यक्ति में विशेष सौंदर्य अलंकार की परिभाषा,
अप्रस्तुत योजना अलंकार के तीन रूप – उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा,
व्याज स्तुति, समासोक्ति अलंकार के वाक्य वक्रता,
कविता के आंतरिक स्वरूप के दर्शन का पांच वर्गीकरण,
अनुभूति की तीव्रता,व्यापकता, कल्पनाशीलता, सौंदर्यबोध, भावों का उदात्तीकरण,

✍🏻 बिपिन कुमार चौधरी
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय जगदीशपुर
कटिहार, बिहार

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