दंडक छंद
6,11,15,10
हे माॅं देवी,कल्याणी पापहरणी,
तेरी जय हो महागौरी,
कर अघ का धावन।
जले दीप,-धर्म द्वार दिन-रात,
भजन कीर्तन करे प्रसन्न,
स्नेहिल मन ऑंगन।
हे दिव्या, श्वेतांबरी माते,
चढ़ाऊॅं रौली कुमकुम फल,
करुॅं श्लोक पाठन।
हे गोरी,प्रियवादिनी देवी,
शुभ फलदायनी!श्वेत वृषभ,
तुमको मनभावन।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रभारी प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय दरवेभदौर
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