Site icon पद्यपंकज

माँ वर दे-लवली वर्मा

माँ वर दे

तू ज्ञान की देवी है,
मैं ज्ञानार्थी तुम्हारा हूँ।
वर दे माँ तू मुझको,
तेरी शरण जो आया हूँ।

अज्ञानता दूर करके,
मार्ग मेरी कर दे प्रकाशित।
सहारा मुझे बस तेरा है,
तुझी पर तो हूँ मैं आश्रित।

नाव मेरी है बीच भंवर में,
पार करा दे हे वीणापाणि।
छेड़ दे वीणा की तान को,
बालक तेरे हम हैं अज्ञानी।

शीश झुकाए हूँ मैं खड़ा,
विनती सुन लो माँ मेरी।
अबोध बालक हूँ मैं तेरा,
आशीष में कर न देरी।

ज्ञान का असीम भंडार है तू,
कर दे हमारा भविष्य उज्जवल।
चरणों में देकर जगह हमें,
सुनहरा हो हमारा आनेवाला कल।

लवली वर्मा
प्राथमिक विद्यालय छोटकी रटनी
हसनगंज, कटिहार 

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version