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जैनेंद्र प्रसाद -महिमा अपार

महिमा अपार है

मंदिरों में भीड़ भारी,दरस को नर-नारी,
श्रद्धालुओं से है पटा, मांँ का दरबार है।

दीप-धूप जले ज्योति, आरती मंगल होती,
दर्शन को लगी हुई, भक्तों की क़तार है।

वाद्ययंत्र खूब बजे, विविध श्रृंगार सजे,
आनंद में झूम रहे, भक्त परिवार हैं।

जगदंबा शेरावाली, मनसा पुराने वाली,
तीनों लोकों में विदित, महिमा अपार है।

जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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