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मैं-धीरज कुमार

मैं

कभी सोच कर समझा कभी कि कौन हूं मैं ?

इस धरती पर जन्मा कहां से आया हूं मैं ?

कई रिश्ते नाते बने मुझसे कितने निभा रहा हूं मैं ?

मैं कौन हूं ?

हां हां बताओ मैं कौन हूं ?

एक मानव के रूप में जन्मा प्राणी हूं मैं ।

एक लक्ष्य प्राप्ति के उद्देश्य से जन्मा हुआ हूं मैं ।

कई उम्मीद पर खरा उतरने, रिश्ते नाते निभाने आया हूं मैं ।

अपने कर्मों की कमाई को कमाने में लगा हुआ हूं मैं ।

मैं कौन हूं ?

हां हां मैं कौन हूं ?

अभी भी सोच रहा हूं मैं ।

जन्म से युवा तक युवा से प्रौढ़ तक पूछ-पूछकर थक गया हूं मैं ।

मिलता सही जवाब नहीं बस यूं ही चल रहा हूं मैं ।

मैं कौन हूं ?

हां हां मैं कौन हूं ?

अब बतलाता हूं मैं ।

मैं केवल मैं हूं ।

अकेला आया हूं अकेला जाऊंगा ।

इस जीवन के रंगमंच पर अपनी भूमिका निभाऊंगा ।

कई भूमिका में नजर आऊंगा ।

कई रंग रूप मैं बनाउंगा ।

कभी प्यार कभी नफरत कभी अहंकार मैं बन जाऊंगा ।

लेकिन एक समय आने पर मैं स्वयं मैं में विलीन हो जाऊंगा ।

धीरज कुमार
U.m.s. सिलौटा
प्रखंड :-भभुआ
जिला :-कैमूर

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