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माखनचोर-अशोक कुमार

Ashok

माखनचोर

नटखट बाल गोपाला,
मोहिनी मुरत वाला।
राधा के तुम प्यारे,
सबके हो तुम न्यारे।।

चंचल स्वरूप वाले,
तुमको पुकारे ग्वाले।
आकर माखन खाजा,
फिर से मुरली बजा जा।।

हे नंद गोपाला,
सबका है रखवाला।
तेरी सांवली सूरत,
जग का है तू मूरत।।

बांसुरी के धुन पर तूने,
गोपियों को रास रचाया।
अपने प्रेम जाल में,
सारे जग को लुभाया।।

हे पालनहारे,
जग के तू न्यारे।
तेरी काया कृति,
जग को है प्यारे।।

हे वसुदेव देवकी के प्यारे,
आठवीं संतान के रूप में थे न्यारे।
कारागार में जन्म के पश्चात,
खुल गए जेल के ताले।।

कंस जैसे अत्याचारी से,
धरती से मुक्ति दिलाए।
द्वारका नगरी की स्थापना कर,
विजय का पताका फहराए।।

कालिया नाग से,
यमुना को मुक्ति दिलाए।
कालिया के घमंड को,
परास्त कर आए।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

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