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मंजिल-अर्चना गुप्ता

Archana           

मंजिल

पथ की बाधाओं से डरकर
दुख की झंझाओं से थककर
हे पथिक ! तुम हार न जाना
बस अनवरत चलते जाना है

पहुँच मंजिल ही मुस्काना है।

पथ निर्जन औ राह कठिन है
संघर्षों भरे मुश्किल के दिन हैं

आशादीप तममय हुआ जो
देकर संबल उसे जलाना है

पहुँच मंजिल ही मुस्काना है।

है शूल प्रखर जीवन-समर में
है पग विदीर्ण संघर्ष-सफर में
पग-छालों को अपना मीत बना
पत्थर पर पुष्प खिलाना है

पहुँच मंजिल ही मुस्काना है ।

गिर जाओ गर जीवन-पथ में
उठ खड़े फिर होना तुम
हो दुख के चाहे बादल काले
चाहे अनगिन बाधा लंगर डाले
चीर के बादल हिम्मत शर से
रवि-सम नभ में खिल जाना है

पहुँच मंजिल ही मुस्काना है ।

अर्चना गुप्ता
अररिया  बिहार

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