Site icon पद्यपंकज

मेरा राष्ट्रध्वज-नूतन कुमारी

मेरा राष्ट्रध्वज

हर रुह की चाहत है इतनी,
मेरा ध्वज गगन स्पर्शी हो,
लहराये सदा, बलखाये सदा,
चहुँ ओर फिज़ा में खुशबू हो।

भारत माँ तेरी मिट्टी से,
तन का सौंदर्य बढ़ाएंगे,
प्रेम कफ़स में बाँध तिरंगा,
हम मन में भी फहराएंगे।

हर रोम-रोम पुलकित होता,
जब-जब यूँ तेरा मान बढ़े,
वो लफ्ज़ सुहानी हो जाए,
जिस होठों पर राष्ट्रगान सजे।

नव दुल्हन बन गई है धरती,
जैसे सोलह श्रृंगार किया,
पराधीन की रोटी खाना मत,
जीवन जीने का सार दिया।

है प्रेरित करता हमारा तिरंगा,
स्वछंद और स्वतंत्र हवा लेना,
जर्रा भी अश्रु ना निकले,
कभी अत्याचार नहीं सहना।

नूतन कुमारी (शिक्षिका)
पूर्णियाँ, बिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version