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मेरे गांव का मेला-एम० एस० हुसैन “कैमूरी”

M S Husain

मेरे गांव का मेला

बहुत खूबसूरत होता था
मेरे गांव का वह मेला
जहां पर लगा रहता था
हरदम लोगों का रेला।

लोगों में भी होती थी
मेले को लेकर सरगर्मी
जिसका शुभ अवसर था
चैत्र मास की रामनवमी।

जहां कराया जाता था
प्रतिवर्ष घोड़े का दौड़
यहां लगी रहती थी लोगों में
प्रतिस्पर्धा जीतने की होड़।

अनोखा हुआ करता था
मेरे गांव का वह मेला
कहीं बंदर कहीं भालू का
कहीं जादू का होता खेला।

कोरोना तूने ये कैसा खेला है
प्रकृति के साथ अपना खेल
तेरे कारण दिख रहा है आज
मेरा गांव सुनसान व अकेल।

एम० एस० हुसैन “कैमूरी”

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