मेरी प्यारी मां
मांग लूँ यह मन्नत कि,
फिर यही जहाँ मिले।
फिर यही गोद मिले,
फिर यही प्यारी माँ मिले।
जब किसी ने रुलाया
तब आपने ही हँसना सिखाया है
माँ हर पल तेरी आंचल की छाया मिले
जब किसी ने कोई जख्म़ दिए
माँ ने ही ममता का मरहम लगाया है।
माँ तेरी आँचल में जन्नत मिले
माँ ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया है
गिरकर उठना, उठकर दौड़ना सिखाया ।
हँसना सिखाया जीना सिखाया
माँ आपने मुझे मजबूत बनाया
आपने पहचान बनाना सिखाया
जब भी परेशान हुई दुख के थपेड़ों से
शुकून की प्यारी थपकी माँ से मिली
माँ तेरे जैसा इस जहां में कोई नहीं
तू है तो जन्नत है
तू है तो रहमत है
माँ मैं तेरी ही परछाई हूँ
तेरी रहमत से दुनिया में आई हूँ।
लक्ष्मी कुमारी
प्राथमिक विद्यालय उचित ग्राम पिपरा
अमौर पूर्णिया (बिहार)
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