मीठी बोली
कड़वी बोली से मानव, संसार में अपयश पाता है।
मीठी बोली से हीं वह तीनों लोकों में यश पाता है।।
काँव- काँव करके कौआ न, किसी के मन को भाता है।
कोयल मीठे बोल-बोलकर, प्यार सभी का पाता है।।
अहंकार को मिटानेवाली, होती मीठी बोली।
घर- परिवार से झगड़े मिटानेवाली, होती मीठी बोली।।
काँटों में भी है यह, सुन्दर फूल खिलानेवाली।
पत्थर दिल को पिघलाकर, यह मोम बनानेवाली।
बच्चे बूढ़े और तरूण के होठों को मुस्काने वाली।
टूटे हुए सारे रिश्तों को, फिर से जोड़ने वाली।।
दिल में सभी के है यह, उमंग बढाने वाली।
शत्रुता को त्याग कर, मित्र बनाने वाली।।
आपस में सबको जोड़, एकता का पाठ पढाने वाली।
सभी प्राणियों के मन मोहकर, वश में करने वाली।।
मान बढाने वाली, सम्मान बढाने वाली।
मीठी बोली है प्रेम, सुगंध को फैलाने वाली।।
मीठी बोली है, सबको सुख देने वाली।
क्रोध की आग को शीतल जल से, ठंडक करने वाली।।
वेद, पुराण, शास्त्र, नीति, का है यह कहना।
नारी की सुन्दरता के लिए, यह है अनमोल गहना।।
स्वरचित:-
मनु कुमारी
पूर्णियाँ बिहार