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मित्रता-अपराजिता कुमारी

Aprajita

 

मित्रता

दो अक्षर का यह शब्द ‘मित्र
आत्मीयता, घनिष्ठता, मित्रता से
अपरिचित भी हो जाते परिचित
मित्रता में सहयोग, सद्भावना
संवेदनशीलता, प्रेम विश्वास हो

मित्र को मित्र के अपने
रूप में ही स्वीकार्य हो
मित्रता में न भेदभाव हो
धर्म, जात, संप्रदाय, नस्ल,
भाषा, उम्र, अमीरी-गरीबी
सारे भेदभावों से परे हो

समझदारी, दूरदर्शिता स्थिरता
एक दूसरे के प्रति निष्ठा स्नेह हो
वचनबद्धता, संकल्प भाव हो
न कभी ईर्ष्या न विद्वेष हो

विश्वास, भरोसा, ईमानदारी,
आदर, सम्मान वफादारी हो
गलतियों पर माफी मांगने में
गलतियों को माफ कर देने
में न हो देरी न संकोच हो

हर स्थिति परिस्थिति में
एक दूसरे को कहे मैं हूं ना
दुःख दर्द का राग हो
हर बात एक दूसरे की सुनने का
प्यार, मनुहार का अनुराग हो

मित्रों संग स्फूर्ति अनुभूति हो
नव ऊर्जा नवशक्ती संचार हो
कठिनाई में पथ प्रदर्शक हो
शैतानियों, शरारतों में साथ हो
उदासियों में उम्मीद, आशा हो

मित्रता और मित्र
हर रिश्ते से अनमोल हो
मुश्किल से मिलते हैं सच्चे मित्र है
मुश्किल से बनी रहती है मित्रता

मित्रता का धर्म ऐसे निभाना हो
मित्रता मिसाल बन जाए
मित्रों के लिए सदैव ऐसे
सर्वदा समर्पित संकल्पित हों।

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
 हथुआ गोपालगंज

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