मोबाईल
मोबाईल की दूनियाँ देखो आई है दोस्तो,
अब अपनों से न मिलने का समय है दोस्तो।
बच्चे की कौन पूछे, हम बड़े भी डूबे रहते है मोबाईल में दोस्तो,
हर महिलाओँ की बनी पसंद मोबाईल मेरे दोस्तो।
इस भागम-भाग जीवन में किसी से मिलने का समय कहाँ है दोस्तो,
मोबाईल से ही पूछे हर कोई दिल का हाल है दोस्तो।
जानकारी से है भरी ये सभी रंग में रंगे है मोबाईल दोस्तो,
इस मोबाईल ने तो किया बदतर हाल दोस्तो,
कहीं तो मोबाईल बहुत अच्छा है दोस्तो,
कहीं कहीं बहुल खराब है दोस्तो।
मानो मनोरंजन हमें कराता है दोस्तो,
किन्तु सुन्दर सी ऑखों में दर्द भी कराता है दोस्तो।
ये भी सच है कि देर रात जगाता है ये सबको,
अतः ऑंखो से ये पानी भी गिराता है दोस्तो।
इसकी किरणें कष्टप्रद होता है दोस्तो।
अतः न अधिक देखो मोबाईल मेरे दोस्तो।
रीना कुमारी
प्रा० वि० सिमलवाड़ी पं टोला
बायसी पूर्णियाँ
बिहार