नशा मुक्ति अभियान
अब तो नशा छोड़ो भाई, क्यों जीवन बिताए बेकार में?
समाज भी तिरस्कार करेगा, नहीं होगी शांति परिवार में।।
बीड़ी, सिगरेट और तंबाकू, डाले डाका बनकर डाकू।
खांसी और टी.वी. पकड़ेगा, जीवन होगा अंधकार में।।
यदि पियोगे दारू, शराब, जिंदगी होगी तेरी ख़राब।
बेपटरी होगी जिंदगी की गाड़ी, जीवन नौका होगी मझधार में।।
ख़ून पसीने की तेरी कमाई, चौपट होगी बच्चों की पढ़ाई।
इज्ज़त तेरी नीलाम होगी सरेआम खुले बाजार में।।
गुटका, गांजा, पान मसाला, मुंह में पड़ता है इससे छाला।
कैंसर से बेमौत मरोगे, बंधकर नशा के तलबगार में।।
चरस, अफीम और सीगार, बनाता है मानसिक बिमार।
इंसान को हैवान बनाता, जो लगा है इस कारोबार में।।
शायद उसको समझ नहीं आता, जीवन पर जो दांव लगाता।
दुर्लभ तन मानुष का पाया, दुबारा नहीं मिलेगा संसार में।।
शास्त्र, ऋषि-मुनियों ने कहा है, समाज सेवा भी नशा है।
गांधी, ईशा बनकर जीना, जीवन लगाओ परोपकार में।।
जो करता नशा का सेवन, नष्ट करता है अपना जीवन।
घुट-घुटकर जीवन जीता है मौत के इंतजार में।।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि
म. वि. बख्तियारपुर पटना