नवल वर्ष
नवल चेतना की आस लिए
नव उम्मीदों की प्यास लिए,
दृढ संकल्प के रथ पर आरूढ़
आशा संग उमंगें ले आया है,
देखो ! नवल वर्ष यह आया है।
है दिनभर की जो उमस-थकन
होगा निश्चय ही एक नव सृजन,
संभावनाएँ निज अंक सजाए
नवप्रकाश पुंज झिलमिलाया है,
देखो ! नवल वर्ष यह आया है।
जो प्रेम तरू हुए शुष्क वीराने
घृणा-द्वेष के हर भाव मिटाने,
सद्भाव सुमन के बाग लगाए
स्नेहिल-सा भाव मुस्कुराया हैै,
देखो ! नवल वर्ष यह आया है।
मौन विवश सब खड़े लाचार
हैं नैना नि:सृत नित अश्रुधार,
हिय वीणा के झंकृत तारों संग
एक साज नया सज आया हैै,
देखो ! नवल वर्ष यह आया है।
मृत संवेदनाओं संग अपने रूठे
फूटे गुबार, रिश्तों के तार हैं टूटे,
पर अंतर्मन की हर पीर छुपाए
खुशियों से गुलशन महकाया है,
देखो ! नवल वर्ष यह आया है।
छँट जाएँगे वारिद तिमिरमय
होगा हर्षित ये जग ज्योतिर्मय,
मुट्ठी में जीत का उल्लास लिए
मधुमासित आँचल लहराया है,
देखो ! नवल वर्ष यह आया है।
अर्चना गुप्ता
अररिया बिहार
आप सभी विद्वतजनों को नववर्ष की मंगलमय शुभकामनाएँ 💐💐