निर्भयता का संदेश
मेरा दीपक जलता जाए
कुछ करने का अरमान लिए
मनुज सेवा का वरदान लिए
जीवन पथ के भूले पथिक को
राह दिखाता जाए
मेरा दीपक जलता जाए।
सौरभ सुमन सा सुगंध लिए
तन-मन को महकाता जाए
हर दिल में उपवन की भांति
शुभम सुमन सा खिलता छाए
मेरा दीपक जलता जाए।
मेरा दृढ़ मन रुक न पाए
मन में इक नई आस लिए
चाहे लाख तूफान आए
चाहे लाख मुसीबत आए
मेरा दीपक जलता जाए।
कर्तव्य न अपना छोड़
भय से मुख नहीं मोड़
निर्भयता का संदेश सुनाता जाए
जीवन पथ पर अडिग खड़ा
मेरा दीपक जलता जाए।
मेरा दीपक जलता जाए
कुछ करने का अरमान लिए
मनुज सेवा का वरदान लिए
जीवन पथ के भूले पथिक को
राह दिखाता जाए
मेरा दीपक जलता जाए।
✍️सुरेश कुमार गौरव
स्वरचित मौलिक रचना
@सर्वाधिकार सुरक्षित
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