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फिर से विद्यालय में-भोला प्रसाद शर्मा 

फिर से विद्यालय में

अरे! चल-चल-चल-चल मेरे भाई,
करली खूब मस्ती अब करले तू पढ़ाई। 

फिर से अब खुल जाऐंगे विद्यालय हमारे,
आयेंगे रोज हम बच्चे भी सब प्यारे।

पापा के प्यारी जी मम्मी के सलौने,
उठा अब तू बस्ता छोड़ दे खिलौने। 

छोटी-छोटी गुड़िया भी स्कूल अब आएंगे ,
झूम-झूमकर गायेंगे और खुशियाँ भी मनाएंगे ।

मटका-कुल्फ़ी खायेंगे और दूरी अपनाएंगे,
धो-धोकर हाथ को मास्क भी लगाएंगे।

दाँये-बाँये देखकर आगे हम बढेंगे,
सारी बातें भूलकर पढ़ाई हम करेंगे।

पापा और मम्मी को अब तंग न करेंगे,
रोज स्कूल जाकर गृहकार्य हम करेंगे।

होगी अब मम्मी को भी छुटकारा,
प्यार और दुलार करेंगे फिर से दुबारा।

जूही और गुलाब के बाग भी लगाएंगे,
छोटी-छोटी क्यरियों में पौधे भी उगाएंगे।

जल मंत्री बनाकर सिंचाई भी कराएंगे ,
कोमल पंखुरियाँ को देखकर रोज मुस्काएंगे।

आएंगी प्यारी-प्यारी दीदी जी हमारी,
चिंकी-पिंकी-मुनियाँ होगी सखियाँ भी हमारी।

गाँधीजी के वाचन अब रोज हम करेंगे,
नये-नये कविता के गायन सब करेंगे।

खेल-कूद में अब पढ़ाई भी करेंगे,
शिक्षा के अधिकार में कोडिंग भी सीखेंगे।

बीते साल को यादों में न लाएंगे,
खुद खुश रहेंगे और खुशियाँ भी फैलाएंगे।

गुरूजन और स्नेहिल के शीश हम झुकाएंगे,
पाकर आशीष सबके हम सच्चे अनुयायी कहलाएंगे।

भोला प्रसाद शर्मा 
प्रा. वि. गेहुँमा (पूर्व)
डगरूआ, पूर्णिया (बिहार)

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