मतदान – मनहरण घनाक्षरी
दौड़ भाग कर रहे,
खोज-खोज मिल रहे,
पाँव भी पकड़ रहे, आया मतदान है।
देखकर निहारते,
हृदय से पुकारते,
गले में बाह डालते, जैसे पहचान है।
बाँटते सभी को प्यार,
डालते हैं लोभ हार,
बोलते हैं वोट मार, मत का विधान है।
कहते इसे है पर्व,
क्षमता इसी से सर्व,
स्वच्छ हो तभी है गर्व, लोकतंत्र जान है।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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