हे माता! जगतारणी
कुंडलिया छंद
माता! तुम जगतारणी, जाना है भवपार।
थाल लिए द्वारे खड़ा,कर ले तू स्वीकार।।
कर ले तू स्वीकार,समय चाहे ले जितना।
चरणों के ही पास,जगह दे गज भर अपना।।
कर ले हे”अनजान”,चरण धूली से नाता।
पापी के ही पाप,मिटाने आई माता।।
रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय दरवेभदौर
प्रखंड पंडारक पटना
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