श्री का अवतार
श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार ।
भक्तों की सद्इच्छाएँ, पल में होें साकार ।।
श्री चरण के आग्मन से, शुभता का हो वास ,
दु:ख, दारिद्रय ऋण से मुक्त, जीवन में प्रकाश,
प्रसन्नचित्र मुद्रा में माँ भरती हैं भंडार ।
श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार ।।
स्वच्छ, निर्मल हो भावना, सद्भाव का संकल्प,
चिरस्थाई श्रीवास का, दूजा नहीं विकल्प,
धनोपाजर्न सत्कर्म से, तब सुखमय परिवार
श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार ।।
प्रथम पूज्य गणेश संग, श्री का अवतार ,
है नूतन रूप प्रकृति का, गूँजित है आभार ,
हो शुभ-लाभ का आग्मन, ऋद्धि-सिद्धि का उपहार ।
श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार ।।
गृहलक्ष्मी हैं नारियाँ, पाती हैं कई रूप,
माता, पत्नी, भगिनी, सुता लक्ष्मी के स्वरूप ,
कुल का धर्म निभाती है, भरती हैं संस्कार ।
श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार ।।
माता के श्री चरणों में, शत्-शत् नमन-वंदन,
वरद् हस्त हो शीश सदा, जीवन बने चंदन,
वैभवशाली, सुख-शांति, श्रीयुक्त हो संसार ।
श्री, समृद्धि, सौभाग्ययुक्त, माता आईं द्वार ।।
रत्ना प्रिया – शिक्षिका (11 – 12)
उच्च माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
चंडी, नालंदा

