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संघर्ष-मनु कुमारी

संघर्ष

संघर्ष बिना इस दुनियाँ में कुछ भी पाना आसान नहीं,
बिना संघर्ष किये खुद को मानव कह देना ठीक नहीं। 

संघर्ष करके नन्ही चींटी मिट्टी का घरौंदा बनाती है,
एक-एक चीनी को ढोकर घर में जश्न मनाती है। 

मेहनत और संघर्ष से हीं विद्यार्थी विद्या को पाता है,
संघर्ष से वरदराज भी देखो पण्डित बन जाता है। 

बार-बार गिरकर भी घोंघा कुंए पर चढ जाता है,
संघर्ष से मानव पानी में भी हँसकर राह बनाता है।

काँटों की चुभन हीं हमको फूलों तक है पहुँचाती, 
दुख के राह हमेशा सुख के दरवाजे तक ले जाती।

जो संघर्ष आग में तपकर अपने को जलाता है,
निश्चय हीं वह मानव इक दिन कुंदन सा हो जाता है। 

संघर्ष है जीवन, संघर्ष है मरण
संघर्ष जीवन आधार,
संघर्ष को मित्र बनाओ, संघर्ष से कर लो प्यार। 

संघर्ष नहीं करते कृषक तो बोलो हम क्या खा पाते? 
बिना अन्न के भूखे प्यासे तड़प-तड़प मर जाते। 

सोकर बैठकर रहने वाले सबकुछ गँवा देते हैं,
संघर्ष और मेहनत से वापस सबकुछ वह पा लेते हैं। 

संघर्ष से शक्ति, संघर्ष से भक्ति संघर्ष मुक्ति का द्वार,
संघर्ष से हीं हरि मिले, उतरै भव जल पार। 

स्वरचित :-
मनु कुमारी
पूर्णियाँ बिहार 

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