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संज्ञा को जाने-ज्योति कुमारी

संज्ञा को जाने

सभी के नाम को
राधा मोहन या श्याम को
कोई जगह पटना, दिल्ली या बाँका,
टेबूल, कुर्सी, दूध दही या टाका (रूपया)
हँसाई, रुलाई, लड़कपन और बचपन
मैं हूँ संज्ञा, मैं हूँ संज्ञा। 
समझ गए ना
मुझमें भेद पाँच समाए हैं। 
व्यक्तिवाचक आता है पहले
ये विषेश व्यक्ति, वस्तू, जगह की पहचान कराते हैं
हिमालय, राम, दिल्ली आदि इसमें आते हैं। 
जातिवाचक हो गया दूसरा
ये किसी विशेष वर्ग का बोध कराते है
लड़का, लड़की, बकरा, बकरी, हाथी, घोड़ा
इसमें सब आते हैं। 
समूह वाचक हो गया तीसरा
ये भीड़, गुच्छा ये सब समझाते हैं
मेला, सेना, दर्जन इसमें आते है। 
भाववाचक भावों को दर्शाते हैं
इसमें हंसाई, रुलाई, लड़कपन, बचपन आदि आते हैं
ये हो गया चौथा। 
द्रव्यवाचक पाँचवे नम्बर पर आते हैं
ये हमें नाप तौल का बोध कराते हैं
इसमें सोना, चाँदी, घी दूध, दही सब आते हैं
संज्ञा और उसके भेदों की कहानी
आओ तुम्हें हम बतलाते हैं। 

ज्योति कुमारी

चान्दन, बाँका..(स्वरचित कविता)

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