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स्कूल खुल गए-रूचिका

स्कूल खुल गए

लौट आई है रौनकें स्कूल खुलने लगे हैं।
सूनी पड़ी थी जो दर दीवार,
गुमसुम से थे जो मैदान,
आज फिर वहाँ शैतानियाँ दिखने लगी हैं।
लौट आई है रौनकें, स्कूल खुलने लगे हैं।
था वो बुरा दौर,
सभी मना रहे थे खैर,
बचपन की चंचलता का एक वर्ष
होम हो गया महामारी की बलिवेदी पर,
खिलखिलाहटें घरों में कैद होकर रह गयी थी,
बचपन की मासूमियत फ़ोन और वीडियो गेम में गुम हो गयी थी
लौट आई है रौनकें स्कूल खुलने लगे हैं।
शिक्षक के रूप में कुछ खो गया था,
जुल्म महामारी का हम पर हो गया था,
थी फ़ितरत हमारी बच्चे बन जाने की,
हँसते मुस्कुराते बच्चों के बीच खो जाने क़ी,
पर वो फ़ितरत कही गुम हो गयी थी
लौट आई है रौनकें स्कूल खुलने लगे हैं।
आज जो स्कूल खुल गया है,
उद्देश्य हमें मिल गया है,
खो गयी थी जो हमारी जिजीविषा,
बच्चों के संग आकर संभल गयी है।
खेलना कूदना हँसना गाना,
बच्चों के संग खिलखिलाना,
आज फिर शुरू हो गयी है।
लौट आई है रौनकें, स्कूल खुलने लगे हैं।
अब तो ईश्वर से यही प्रार्थना है,
वह भयावह दिन न अब आए
खो गयी थी बचपन की सहजता,
उसे नये जोश के साथ हम जगाये।
सुन लो प्रभु ये प्रार्थना
सारी बुरी बला से इस देश और विद्यालय को बचाये।
लौट आई है रौनकें स्कूल खुलने लगे है।

रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विधालय तेनुआ गुठनी सिवान बिहार

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