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शिशु की हो बात मां दे सबको मात-विवेक कुमार

Vivek

शिशु की हो बात मां दे सबको मात

जननी को सलाम, यही है शिशु की जान,
ईश्वर से ऊंचा दर्जा है इनका होती महान,
नव कोंपल को खिलाकर, बनाती उसे फूल,
रक्त का कतरा दे, जीवंत करती सब भूल,
मां से बड़ा इस दुनिया में न कोई समान,
शिशु की हो बात, मां दे सबको मात।।

भावी पीढ़ी संवार, जीवन जीने का देती ज्ञान,
मां का जग करता सदा, उनके कार्यों का सम्मान,
फिर भी कुछ लापरवाही, शिशु की ले लेती जान,
मौजूदा समय में शिशु सुरक्षा पर, करनी होगी बात,
संयम और समझदारी ही करेगा, इसका समाधान,
शिशु की हो बात, मां दे सबको मात।।

शिशु को मिले सही पोषण, तभी नाम करेगा रोशन,
स्वास्थ्य सेवा सुदृढ हो, न हो मृत्यु का कोई कारण,
मां का दूध शिशु को मिल जाएं, हो अमृतपान,
कुपोषण दूर भगाएं, लोगों में यह जागरूकता फैलाएं,
शिशु सुरक्षा का सभी को, कराएं भान,
शिशु की हो बात, मां दे सबको मात।।

शिशु संग मां की सुरक्षा का, लेना होगा प्रण,
स्वास्थ्य विभाग संग अपनों का, मिल जाएं साथ,
मां सुरक्षित होंगी तो, शिशु भी होगा उनका सुरक्षित,
हमसब एकजुट हो जाएं, साथ सभी का मिल जाएं,
स्वस्थ भारत बनाएंगे, भावी पीढ़ी बचाएंगे,
शिशु की हो बात, मां दे सबको मात।।

अपने बच्चे की रक्षा करने वाली मां से बड़ा,
दुनियां में कोई बड़ा योद्धा नहीं, जग जान लें आज,
सभी माताओं से आरजू हमारी, खुद स्वस्थ रह,
शिशु को दे नव जीवन, करें स्वस्थ समाज निर्माण,
शिशु सुरक्षा दिवस पर, सुरक्षा का प्रण लेने खास,
शिशु की हो बात, मां दे सबको मात।।

विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
मुजफ्फरपुर, बिहार

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