शुभ संस्कार
आध्यात्मिकता से सुख मिलता है
अन्तःकरण निर्मल होता है
अद्वैत न होता दुश्वार
सुपथ देता तब आत्मोद्धार
उदित होताजब शुभ संस्कार ।
सात्विक प्रवृत्तियाँ जगती हैं
पापवृतियाँ क्षरित होती हैं
मन मलिनता होता तार-तार
ह्रदयाकाश तब पाता विस्तार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
उत्तम कर्म सुयश देता है
मनुज देव बन जाता है
अन्तर्मन निःसृत नेह की धार
अवनि अंबर तब प्रीत के तार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
भाव सरस निखरित होता है
परोपकारी सुमन खिलता है
बिखर जाता अंतर्द्वन्द अंहकार
प्रस्फुटित होता तब चेतन सार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
सजगता से प्राणी सफल होता है
सदप्रयास नही विफल होता है
मानापमान से न कोई सरोकार
श्रेष्ठ जनो से तब होता सहकार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
विनयशील सबल होता है
हिय कोष्ठ धवल होता है
अन्तस छाता भक्ति आधार
शिव शक्ति से तब मन संहार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
संत वचन शशि शीतल होता है
ज्ञान घन सरस सुलभ होता है
होता नवयुग का सुखद आसार
शांति क्रांति का तब खुलता द्वार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
ध्यान ज्ञान से जीवन सफल होता है
ब्रह्म तेज का दरश होता है
निर्झरणी अमिय सहस्त्रार
पाता मानव तब मुक्ति का द्वार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
सम्यक कर्म निर्बंध होता है
कर्म फल से मानव बचता है
आवाजाही का होता संहार
होता तब जीव ब्रह्म एकाकार
उदित होता जब शुभ संस्कार ।
दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी
अररिया