शिक्षा
जिसके पास है शिक्षा,
करते दूर हैं अशिक्षा।
शिक्षा एक समान है,
जिससे बुद्धिमान है।
शिक्षा है सबों के जीवन का सार!
ये है सभी बच्चों का मूल आधार!
जिस दिन अभिभावक समझ जाएँगे,
जीत जाएँगे वो पूरे संसार।
शिक्षा पाने को हैं सभी विवश,
बढ़ता इससे है सम-रस।
जो इसे ग्रहण करता है,
बदल जाता है कुल-वंश।
सब पढ़े, सब बढ़े यही है शिक्षा,
काम न हो भूल वश यही है दीक्षा।
और इससे नहीं है कोई फायदा,
जब तक दूर न हो अशिक्षा।
सभी बच्चे हैं बुद्ध बिहार के,
भेद भाव जान हैं यहाँ करते।
शिक्षा से बुराईयाँ है मिटते,
शिक्षा ही समता बाँटते।
सबों का होता एक दिन,
ढलती बराबर है शाम।
शिक्षा के ही क्षेत्र में करना है काम,
यूँ हीं होता नहीं सारे जग में नाम।
रख हौंसला वो वक्त भी जरुर आएगा,
प्यासे के पास चलकर कुंआ भी आएगा।
थक कर बैठ गए क्या “प्रकाश” भाई,
शिक्षा से वो दिन भी जरुर आएगा ।
“प्रभात” कड़ी मेहनत और लगन से-
जोश व जज्बा रखो जीतने का,
तब हर दिन होली होगी
और हर रात दिवाली आएगी।
एक दिन कारवाँ बदलेगा ,
फिर दुनियाँ क़दम तुम्हारे चूमेगी।
प्रकाश प्रभात
प्रा. वि. बाँसबाड़ी
बायसी पूर्णियाँ (बिहार)