टीचर्स ऑफ बिहार
धूमिल हो रही थी योग्यता
सरकारी आचार्य की
जिसे जगत के आगे लाकर
जिसने हम पर उपकार की
नाम उनका सभी जानते
टीचर्स ऑफ बिहार की।
विद्यालय की गतिविधियों को
महत्व कभी न मिलती थी
सभी कहते केवल बस केवल
विद्यालय में शिक्षा न मिलती थी
लेकिन जब टीओबी आया
जन-जन का भ्रम दूर भगाया
आचार्यों ने भी मौका पाकर
अपनी योग्यता को दर्शाया
कई तरह की गतिविधियों को
आम जन-जन तक पहुंचाया।
कोरोना की जब मार पड़ी
सब छुप गए अपने आलय में
पढ़ाई बंद हुई बच्चों की
ताले लग गए विद्यालय में
टीओबी ने सोम चलाकर
स्कूल लाया स्व आलय में
ज्ञान प्राप्त कर मुदित हुए सब
अपने घर व आलय में
टीओबी का है एक ही नारा
पढ़े बच्चे सदा हमारा।
सुरक्षित शनिवार व महापुरुषों पर
क्विज चलाकर ज्ञान बढ़ाते
दिवस ज्ञान टीओबी ज्ञान को
बच्चों शिक्षकों तक पहुंचाते।
समय-समय पर लाइव लाकर
विद्वत जन से हमें मिलाते
नई-नई बातें सुन सुनकर
हम सब अपना ज्ञान बढ़ाते।
सुविचार व शब्द अर्थ भी
प्रतिदिन हम तक हैं पहुंचाते
प्रकाशित कर आलेख हमारे
विश्व पटल तक भी पहुंचाते।
गद्यगुंजन पद्यपंकज लाकर
गद्य पद्य से हमें मिलाए
थे पहले अनजान शिक्षक जो
खुश हो सबके सामने आए।
जुड़े हैं इससे सहस्रों शिक्षक
जिसे टीओबी ने मंच दिया
करते केवल देने का काज
न कभी किसी से कुछ भी लिया।
नवरत्नों से संचालित हो
शिक्षक रत्न को सामने लाया
बच्चे भी इससे जुड़े हुए हैं
गर्व से जो टीओबी कहलाया।
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम
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