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वीर जवान सरहद पर जाते-डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या ‘

Snehlata

वीर जवान सरहद पर जाते

तन मन जगमग हो जाता है,
नमन कोटिशः सब मिल गाते।
मातृभूमि पर मर मिटने को,
वीर जवान सरहद पर जाते।

बूढ़ी माँ के आँचल में भी,
दूध छलक पाणी में आते।
नगर मुहल्ले ताल तलैया,
नमन का सरगम हर पल गाते।

हिंदुस्तान की मिट्टी चंदन,
राष्ट्र गीत पंछी भी गाते।
जब नव यौवन शीश चढ़ाने,
वीर स्वयं सरहद पर जाते।

विजयी पथ स्वर्णिम शिखरों पर,
सहज तिरंगा ध्वज लहराते।
दुश्मन के लहू से अलंकृत,
शमशीरों को हैं नहलाते।

नवयौवना नवेली दुल्हन,
रक्त अरि से माँग सजाते।
कँगना बिंदी और महावर,
मातृभूमि में रचबस जाते।

सिंहनाद से अरि की छाती,
फट जाये दिल को दहला दे।
सरहद पर जब वीर सपूतों,
वन्दन कर कण कण है गाये।

नमन करें हम उस ममता को,
नमन कोटि पथ रज कण भाये।
चूमें उस पथ को,  झूमें हम,
जिस पथ वो सरहद पर जाते।

डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या ‘

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