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यही तो है बाल अधिकार-प्रकाश प्रभात

यही तो है बाल अधिकार

जितने हैं सारे अधिकार
अंबेदकर ने बनाया रंग-रुप आकार,
यही तो है बाल अधिकार।

खोजे सारे कवि-साहित्यकार,
बाल श्रमिक है कहा धिक्कार,
यही तो है बाल अधिकार।

क्यों करते हो किसी का अपकार,
करना है तो करो उपकार,
यही तो है बाल अधिकार।

बच्चों के ढेर सारे अधिकार,
जिससे जीते वो सारा संसार,
यही तो है बाल अधिकार।

प्रथम तो जीने का अधिकार,
दूसरा सहभागिता का अधिकार,
यही तो है बाल अधिकार।

तीसरा विकास का अधिकार,
चौथा संरक्षण का अधिकार,
यही तो है बाल अधिकार।

पंचम शिक्षा का अधिकार,
बच्चों का मूलभूत अधिकार,
यही तो है बाल अधिकार।

खेलना, हँसना, पढ़ना, आजाद रहना,
यही तो है बच्चों का संसार,
अतःबच्चों से करते सभी प्यार,
यही तो है बाल अधिकार।

प्रकाश प्रभात 
प्रा. वि. बाँसबाड़ी, बायसी,

पूर्णियाँ (बिहार)

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