अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस
आओ जानें हम सच्चाई, जीवन में क्या होता है।
हँसते गाते लोगों में भी, आँखें नम क्यों होता है।।
रिश्तों में जीवन है उलझा, रिश्तों की मर्यादा है।
सच्चा मित्र मिला है जिसको, वह होता शहजादा है।।
होते इनके रूप अनेकों, आओ इनको हम जानें।
कैसे जुड़े हुए जीवन से, इनको खुद से पहचानें।।
साख हमारा जिसपर रहता, सखा वही बन जाता है।
हरण करे जो दोष हमारा, दोस्त वही कहलाता है।।
संग रहे जो हरपल अपने, होता है संगी प्यारा।
साथ खड़ा जो रहा हमेशा, साथी भी वही हमारा।।
बनता चित का मित जो सुंदर, मित्र उसे हीं हम मानें।
मिलकर हृदय विहँसता हो तो, सुहृदय उसको हम जानें।।
नेह जगे जिससे दिल में वह, स्नेही वह हीं बन पाएँ।
हरपल चलकर साथ निभाए, सहचर हम उसे बताएँ।।
मददगार बनकर जो रहता, सहयोगी वह है होता।
अपनों में भी अपना जो हो, स्वजन वही तो है होता।।
सच मानों तो यार वही जो, है हमको गले लगाया।
राह दिखाया सदा सही है, हर रूप हमें अपनाया।।
दौर आधुनिकता का ऐसा, धन को हीं मित्र बनाया।
मित्र समझ सद्कर्मों को जो, जीवन में है अपनाया।।
सच्चा सहचर अपने अंतस, आओ अब स्वयं जगाए।
बदल रही इस दुनिया में भी, मित्र हमारा कहलाए।।
हर-दिन हरपल चित में रहता, “पाठक” का मान बढ़ाता।
दुनिया देखो मित्र दिवस का, संदेशा है पहुँचाता।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

