अपना भेज के अंतिम संदेश,छोड़ के अपना देश, परदेश तुम चले गए,परदेश क्यों चले गए
बदल के अपना भेष,खुश रहने का दे संदेश,कहो न क्यों चले गए,कहो ना क्यों छोड़ गए
सागर बन गईं आँखें,भारी अब भई रातें,हृदय का सूनापन,याद आती हैं तेरी बातें
तुम सौप के ग़म का देश,परदेश क्यों चले गए,कहो ना क्यों चले गए
रमेश कुमार मिश्र
शिक्षक
भारती मध्य विद्यालय
लोहियानगर, कंकड़बाग
पटना
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