अरिल्ल छंद
मात्रा – १६
अंत – १२२
आपस में मत करो लढ़ाई ।
बच्चों कर लो खूब पढ़ाई ।।
तुम अपना मत समय गँवाना ।
अच्छे बच्चे सदा कहाना ।।
गतिविधियों में नाम लिखाओ ।
खुद भी सीखो और सिखाओ ।।
शिक्षा का तुम मोल समझ लो ।
आभूषण है ज्ञान पहन लो ।।
पथ के काँटे सदा हटाना ।
पढ़ लिखकर तुम नाम कमाना ।।
अपना जीवन स्वयं सजाओ ।
तात मात का मान बढ़ाओ ।।
जीवन होगा सफल सुहाना ।
बदलेगा यह समय पुराना ।।
तुम हो जैसे चाँद सितारा ।
तुमसे है संसार हमारा ।।
सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार
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