नन्हें नन्हें कदमों से,
चहलकदमी करते हुए,
प्रकृति की अनुपम बेला में,
भरकर चेहरे पर मुस्कान,
सपनों का संग करके ध्यान,
साथियों संग एक होकर,
सब कुछ जाओ तुम भूल,
आओ मिलकर चलें स्कूल।।
घर से निकले,
आशा संग उमंग लिए,
चारों तरफ बजती शिक्षा की धुन,
यही है इसका सबसे बड़ा गुण,
कुछ बनने की अब चली पवन,
साथियों संग एक होकर,
सब कुछ जाओ तुम भूल,
आओ मिलकर चलें स्कूल।।
चलो ज्ञान का दीप जलाएं,
मिलकर हमसब हाथ बढ़ाएं,
कदम से कदम मिलाएं,
एक एक कर संग हो जाएं,
शिक्षा का अलख जगाएं,
साथियों संग एक होकर,
सब कुछ जाओ तुम भूल,
आओ मिलकर चलें स्कूल।।
हेमा आओ, रानी आओ,
पुन्नू आओ, साक्षी आओ,
हम भी आएं तुम भी आओ,
संग मिलकर अब एक हो जाओ,
मीना मंच और बाल संसद संग,
सब मिलकर गाएं एक ही धुन,
स्कूल चले स्कूल चले स्कूल चले हम,
आओ मिलकर चलें स्कूल।।
जज्बा और विश्वास लिए,
कंधे पर बस्ते का बोझ लिए,
निकल पड़े होकर निडर,
पाने की चाहत ने आखिर,
दिया शिक्षा का अनुपम वरदान,
साथियों संग एक होकर,
सब कुछ जाओ तुम भूल,
आओ मिलकर चलें स्कूल।।
विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर