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आलस्य से मुंह मोड़ो- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

पक्षियों ने छेड़े राग,
प्यारे बच्चों जाओ जाग,
भोर की सुहानी बेला, स्वच्छ आसमान है।

अब तो विस्तर छोड़ो,
आलस से मुंह मोडो,
आराम है बड़ा रोग, कहता किसान है।

सहकर धूप पानी,
करता है निगरानी,
रात-दिन डटा हुआ, सीमा पे जवान है।

उन्नत हो मेरा देश,
गांव घर परिवेश,
बना रहे भाईचारा, यही अरमान है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना

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