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इस वर्ष का ईद- संजय कुमार

बड़ा सुहाना है, मौसम इस माह का
चेहरे के भाव बताते हैं खुशियों की
रंग खेलते हिन्दू बरसाते फूल मुस्लिम
अता करते नमाजियों पर, बरसाते गुलाब हिन्दू
यही तो रूप रंग है, हमारे भारतवर्ष का।

खेतों में मिश्रित सुगंध फैल रहे हैं
गेहूँ की बालियाँ, सरसों की फलियाँ
चने और मसूर की झाड़ियाँ
मटर की लताएँ, बरवस ध्यान खींच रहे
देख के किसान इसे मन-मन
मुस्का रहे।
सेमल और पलाश, लाल फूल
बिछा रहे
आम्र लीची मंजरी, मादकता
बरसा रहे
तरबूज खीरा ककड़ी, खेतों में
मुस्का रहे
देख के किसान इसे, फुले नहीं
समा रहे
प्रकृति होली के रंग, ईद की
बधाई दे रही।
निष्कलंक बाल-बालिकाएँ, एक
दूसरे पर रंग फेंक रहे
कोई आधा रोजा रखे,कोई एक
रोजा रखे
बाल मन ऐसे प्रफुल्लित हैं जैसे
मानो,
सारा रमजान उन्होंने ही अपने
सिर रखे हों
होली और ईद की यह छटा बता
रही,
यही तो रूप रंग है, हमारे भारत
वर्ष का।
शंकर अनवर के लिए इफ्तार की
खरीदारी कर रहा,
ख़ालिद संजय के लिए गुजिया
खरीद रहा
एक दूसरे को होली का गुलाल
लगा रहे
आपस में गले लगा कर, ईद की
बधाइयाँ दे रहे
यही तो रूप रंग है, हमारे भारत
वर्ष का।

संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी
अररिया

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