मनहरण घनाक्षरी छंद
पेड़ पौधे झुक जाते,
जलधारा रुक जाते,
जड़ पे असर होता, विनती विनय के।
ईश में विश्वास करें
हमेशा प्रयास करें,
प्रार्थना भजन करें, पवन तनय के।
चलता जो बिना रुके,
संकटों से नहीं झुके,
सिर पर सजता है, सेहरा विजय के।
मौसम से फल लगे,
डालियों में फूल खिले,
सदा इंतजार करें, उचित समय के।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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