एकावली
मात्रा — १०
यति — ५,५
अंत — दीर्घ
२१२ , २१२
राम का , नाम ले ।
सुबह ले , शाम ले ।।
ध्यान हम , सब धरें ।
याद सब ,अब करें ।।
सिया पति , ईश हैं ।
जगत के , श्रीश हैं ।।
मुक्ति का , धाम है ।
प्रभु श्री , राम है ।।
राष्ट्र की , शान हैं ।
भक्त की , जान हैं ।।
पूज लो , पैर को ।
छोड़ दो , बैर को ।।
सीख लो , त्याग को ।
शत्रु से , राग को ।।
प्रेम ही , प्रेम हो ।
विश्व का , क्षेम हो ।।
माँ पिता , जान हो ।
बंधु ही , शान हो ।।
पाप का , नाश हो ।
धर्म की , आश हो ।।
सुधीर कुमार किशनगंज
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