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और हम छूट गए-चंचला तिवारी

और हम छूट गए

तुम चले गए पर हम छूट गए।
वक्त बीत गया पर हम छूट गए।

सुनी पड़ी आँखों से, भरे हुए दिल से,
तुम्हे बिदा किया पर हम छूट गए।

हम रह गए तड़पते, तुझे जाते हुए देखते,
तुम चले गए पर हम छूट गए।

आंगन में बिखरी ख़ामोशिया, करवटो की तन्हा अंगड़ाइयां,
हमें लूट गए पर हम छूट गए।

ख़ामोश लब्ज़ो से, तन्हाइयो के एहसास से,
दिल के सारे अरमान लूट गए, पर हम छूट गए।

खाली सड़को पे ढूंढते, तन्हाइयो में बिखरते,
आँखों में सारे सपने टूट गए, पर हम छूट गए।

अपने सांसो की महक, दिल की धड़कन,
अपने छुवन की तड़पन, अपने बाहो की जकड़न,
साथ अपने तुम ले गए पर हम छूट गए।

” चंचला तिवारी”
तपती सिंह हाई स्कूल चिरांद सारण 
ब्लॉक सदर

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