प्रेम देह से है अगर,करिये निशदिन योग।
काया होगी स्वस्थ तब, और हटेंगे रोग।
योगीजन से सीखकर, कीजै प्राणायाम।।
ध्यान योग के चरम पर,मिल जायेंगे राम।।
नैन नजर के योग से,उर में होत प्रकाश।
षट विकार का नाश हो,आ जाए प्रभु पास।।
जड़ चेतन के योग से,बनता है संसार।
यह जग बंधु असार हैं, करिये प्रभु से प्यार।।
जीवन यह अनमोल है,कीजै प्रभु से प्रीत,
ध्यान योग अभ्यास से,लीजै मन को जीत।।
स्वरचित:-
मनु कुमारी, प्रखंड शिक्षिका,
मध्य विद्यालय सुरीगांव, बायसी, पूर्णियां बिहार
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