जिस पथ में चला सत्य है यह कर्म-पथ
उतार तो कहीं चढ़ाव का है यह सु-पथ!
जीवन के हर मोड़ पर उनको देखा सदा
वो पूरा भी न कर सके जीवन मोल अदा!
कहते थे सदा चलूंगा इस जीवन-मार्ग पर
भूल गए क्यूं?जीवन तो है एक अग्नि-पथ!
तोहमत दे दी तो क्या मैं जीवन छोड़ जाऊं
मोहलत मिली गर जीवन में कुछ जोड़ पाऊं!
पूरा सफर है अभी इस जिंदगी का अधूरा
इसे करना ही होगा अब हर हाल में पूरा!
आपका साथ मिले तो जीवन हो पूर्ण-पथ
बाकी जीवन जीने का नाम ही है धर्म-पथ!
कहीं कंटक भी मार्ग में बन जाते हैं बाधक
कठिनाई में भी सु-मार्ग साध लेते हैं साधक!
साथ चल चलें,हाथ बांट चलें इस कर्म-पथ
अधूरे जीवन को पूरा करेगा यह सुमार्ग-पथ!
जिस पथ में चला सत्य है यह कर्म-पथ
उतार तो कहीं चढ़ाव का है यह सु-पथ!
सुरेश कुमार गौरव,शिक्षक, पटना (बिहार)
स्वरचित और मौलिक, @सर्वाधिकार सुरक्षित
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