शोणित वो जो बह रही, स्नायु संग संचार में ।
भू रत्न गर्भा ये धारा, पहचान है संसार में।।
केसरी सी हर सुबह,
उज्जवल श्वेत दिन बना।
हर खेत है हरियाली में,
जैसे तिरंगा मिल बना।
देश अपनी अस्मिता, सब कुछ यहां है प्यार में
भू रत्न गर्भा ये धारा ,पहचान है संसार में।।
है मिट्टी भी अनमोल ये,
तीज त्यौहारों भरा।
नदियां ,पर्वत, शाखी, हवा,
कुदरत ने है खूब गढ़ा।
सभ्यता संस्कृति भरपूर है, काल अवधि चार में।
भू रत्न गर्भा ये धारा ,पहचान है संसार में।।
मार्गदर्शक दुनिया का ,
भारत की पहचान है।
ये हमारी अस्मिता,
ये हमारी जान है।।
लूं जन्म हर बार में,भारत और बिहार में।
शोणित वो जो बह रही, स्नायु संग संचार में ।
भू रत्न गर्भा ये धारा ,पहचान है संसार में।।
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