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किसने रोका है – गिरीन्द्र मोहन झा

Girindra Mohan Jha

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अंधेरा घोर घना है, एक बत्ती जलाने से किसने रोका है?

प्रदूषण है यदि बहुत अधिक, एक पेड़ लगाने से किसने रोका है?

निराशा है चारों ओर, उर में उत्साह लाने से किसने रोका है?

समस्या है ही अधिक, दोष छोड़, हल ढूँढ़ने से किसने रोका है?

दुर्बलता है अधिक, बल के चिंतन से किसने रोका है?

चरित्र रहे उज्ज्वल, निज आदर्श पर चलने से किसने रोका है?

वैर -भाव है बहुत, प्रेम-क्षमा करने से किसने रोका है?

सिस्टम सोया है गर, आपको जगने से किसने रोका है?

रुके हों कदम सभी के, आपको पग बढ़ाने से किसने रोका है ?

असफल हो रहे हैं बार-बार, एक बार और प्रयत्न से किसने रोका है?

गिरीन्द्र मोहन झा ‘शिक्षक’

भागीरथ उच्च विद्यालय चैनपुर- पड़री, सहरसा, बिहार 

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