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केसर हो जाइए- विधा- मनहरण घनाक्षरी- रामकिशोर पाठक

ram किशोर

इस बार की होली में,
मधु रस हो बोली में,
प्रेम लाली ले झोली में,
गले से लगाइए।

लाल पीले होते नहीं,
धैर्य कभी खोते नहीं,
गुलाबी रंग होठ से,
मन को हर्षाइए।

मन में उमंग हरा,
पुलकित रहे धरा,
प्रेम का प्रवाह भरा,
गुलाल उड़ाइए।

अपना पराया नहीं,
चाहे मन भाया नहीं,
राष्ट्र की हो बात कहीं,
केसर हो जाइए।

राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना

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