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कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला – अरविंद कुमार अमर

Arvind Kumar Amar

कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला,
मन में यह प्रश्न कोंध रहा है?
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला।
सजा -सजाया सुन्दर उपवन,
नूतन निर्मल हो हर माला,
ञ्यान मधू मकरन्द सुरभि, भरा रहा हो जैसे रस का प्याला।
सहज सुलभ माहोल लिए हो, ऐसी हो मेरी संकुल की पाठशाला।
आज्ञाकारी हो हर बालक, अनुशासित हो हर शिक्षक–शिक्षिक,
प्रेमभाव सम्पन्न हो जैसे,
कमरूल बाबु सा अवतारिका।
ञ्यान किरण से आलोकित हो,
ऐसी हो मेरी संकुल की पाठशाला।
मन में यह प्रश्न कोंध रहा है
कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला।
हर अध्यापक चरित्रवान हो, योग्य-विनम्र ख्याति वाला हो।
हर अध्यापिका माता तुल्य हो जो,
प्यार दे सके और अध्ययन रत रहने वाली हो,
कर्मठता हीं मेरूदंड हो,
ऐसी हो मेरी संकुल की पाठशाला।
??–मन में यह प्रश्न कोंध रहा है कैसी हो मेरी संकुल की पाठशाला।??

लेखक-अरविंद कुमार अमर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय चातर, संकुल-उ-उ -वि -पैकटोला।
जिला -अररिया-(बिहार)

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