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गाँव-देव कांत मिश्र

गाँव
यह गाँव हमारा प्यारा है
अद्भुत सुन्दर न्यारा है।
चलो तुम्हें हम आज दिखाएँ
उर का भाव हमारा है।।

होती अनुपम मृदा गाँव की
सत्य सभी ने जाना है।
खान गुणों की होती अनुपम
दिल से सबने माना है।।
चंदन माटी तिलक लगाओ
कहते जन-जन सारा है।
यह गाँव—– न्यारा है।

नीर कुआँ का शीतल देखो
कितना ठंडा मीठा है।
पीपल, बरगद है सुखदायक
दिखे कहीं पर रीठा है।
तुलसी पौधा नीम लगाना
यह तो परम सहारा है।
यह गाँव—— न्यारा है।।

होली झूमर लगते प्यारे
इसकी शान निराली है।
प्रेम भाव से मिलकर गाते
पुरवाई मतवाली है।।
भाव यही अंतर्मन उमड़े
कहे दिव्य उजियारा है।।
यह गाँव—— न्यारा है।।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ भागलपुर, बिहार

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