याद आती है बहुत ही गाँव की ।
धान गेहूँ की फसल का झूमना ।
पेड़ को हरदम लता का चूमना ।।
खेत में हरियालियों की ठाँव की ।
याद आती है बहुत ही गाँव की ।।
कोयलों का डाल पर वह बोलना ।
कान में मिश्री मधुर-सा घोलना ।।
बाग में अमराइयों की छाँव की ।
याद आती है बहुत ही गाँव की ।।
रोज नदियों में नहाना-दौड़ना ।
खेल कुश्ती और पिट्टो खेलना ।।
चोट लगना याद है वह पाँव की ।
याद आती है बहुत ही गाँव की ।।
सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार
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