प्राची दिशा लोहित है,
सूर्यदेव निकले हैं,
बच्चे आज ताक रहे,गुरुवर आए खास।
पाठशाला सज रहा,
महका है श्रद्धा पुष्प,
मिट गया हिया तम,आया सितंबर मास।
विश्वास से लबालब,
शिष्य-शिष्या शिष्टाचारी,
आचार्य दिखावें राह,करें सुखों का आभास।
उपाध्याय के सानिध्य,
रात दिन एक जैसा,
अमर उजाला मिले,जहाँ भी करें प्रवास।
एस.के.पूनम
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