एक बाल कविता
होली आई होली आई,
चंचल वन की टोली आई।
शेर, जिराफ,लोमड़ी, सियार,
सभी को भाया है त्योहार।
बिल्ली मौसी ने तलें है पुए,
पीछे पड़े है उनके चूहे।
पुए बन गए ढेर सारे,
नटखट चूहे ले कर भागें।
नीले रंग में रंगा सियार,
खुद को सोचे बड़ा होशियार।
कौआ भी कैसे मोर बना है,
मोर के रंगों से वो सजा है।
हाथी की सूढ़ बनी पिचकारी,
दादा ने रंग दी दुनियां सारी।
तोते ने मैना को जो रंग लगाया,
मैना को यह तनिक न भाया।
हुई फिर दोनों में तक़रार,
यही तो होली का है प्यार।
सब ने खूब बाटीं खुशियां,
रंगीन हुई जंगल की दुनियां।
खूब हुई फिर हँसी ठिठोली,
चंचल वन में मनी है होली।
निधि चौधरी
किशनगंज, बिहार
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