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चमकी को धमकी- विवेक कुमार

Vivek

गर्मी की जब आहट आती,
चमकी की धमकी याद
आती,
बड़ी तेजी से पैर फैलाती,
बच्चों की काल बन जाती,
अभिभावक को खूब हड़काती,
अपनी चाल चल ही जाती,
अपना असर वह जब दिखलाती,
बच्चों में लक्षण उभर आती
सर दर्द, तेज बुखार, पहचान-क्षमता का कहर बरपाती,
अपने मन की वह कर जाती,
इसकी करतूत फूटी आंखें न सुहाती,
कोई भी इससे पार न पाती,
स्वास्थ्य विभाग को भी खूब छकाती, अपने खिलाफ हुए सारे
प्रयास विफल कर जाती,
अंततः,
विभाग ने कर ली,
उसके खिलाफ तैयारी,
सबसे पहले,
लक्षण की पहचान की,
पुख्ता इंतजाम के साथ,
अब आई लड़ने की बारी,
ठान लिया उतारेंगे उसकी सनकी,
कमर कस तैयार हुआ,
उतारने उसकी गीदड़ भभकी,
संयम सावधानी से कर ली,
उसके तोर की तैयारी,
अब,
मिली चमकी को धमकी,
बचाव के तीन मंत्र की तैयारी की,
खिलाओ, जगाओ, अस्पताल ले जाओ,
यही मूल मंत्र है मेरे भाई…..
मिलेगी निजात,
उतरेगी उसकी सनकी,
संयम ही समझदारी,
सुन ले जनता सारी,
यही बात सब पर भारी,
विवेक की विनती,
सुन ले मुजफ्फरपुर सह सूबे की जनता सारी,
हारेगी चमकी,
जीत होगी हमारे संयम की,
कंधे से कंधा मिल जाए, समय खत्म होगी हमारे गम की।

विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर

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