(बाल कविता)
दौड़े दौड़े घर में आते
ताक झांक करते चूहा जी।
नए पुराने सारे कपड़े
कुतर कुतर जाते चूहा जी।
अम्मा मेरी है गुस्साई
झट से चूहे दानी लाई।
कुछ रोटी के टुकड़े डाली
चतुराई से रखी छिपाई।
झांसे में फिर आए चूहा जी
देखो गच्चा खाएं चूहे जी।
फंस गए चूहे दानी में
दिनभर उधम मचाए चूहा जी।।
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर बिहार
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